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श्रंगार - प्रेम >> क्यों चुराया दिल मेरा

क्यों चुराया दिल मेरा

समीर

प्रकाशक : डायमंड पॉकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2001
पृष्ठ :287
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 3501
आईएसबीएन :0000

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एक नया उपन्यास...

Kyoon Churaya Dil Mera

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश


बारिश की हल्की फुहार हल्की-हल्की ठंडी हवाओं के मस्त कर देने वाले झोंके...डैक पर बजता हुआ एक रुमानी गीत जिसका साथ फिजा में संगीत बिखेर रहा था।
रमोला अपनी सहेलियों के साथ पिकनिक मनाने आई हुई थी। नदी के किनारे एक बड़ी-सी चटाई बिछी हुई थी....जिस पर दो बास्केटों में खाने का सामान, फल इत्यादि रखे थे....दो क्रेट बीयर की बोतलें, दो स्कॉच व्हिस्की की बोतलें और दूसरा सामान।

रमोला की सूमो कार पास ही खड़ी थी...दो बड़े-बड़े छाते भी तने हुए थे, लेकिन पांचों सहेलियां फुहारों में भीगती हुई डांस कर रही थीं।
नाचते-नाचते एक लड़की ने रुककर कहा—‘‘अरे यार। क्या खाक मजा आ रहा है, इस पिकनिक में ?’’
‘‘क्या कमी रह गई है ?’’ दूसरी ने पूछा।

‘‘कमी ही कमी है....अरे, इतने रोमांटिक मौसम में हमारे साथ एक भी मर्द दोस्त नहीं है।’’
रमोला के दिल में एक कसक सी उठी...उसने सीने पर हाथ रखकर कहा—‘‘यार ! तू कहती तो सच है....लेकिन साथ में लाते किसको ?’’
‘‘अरे, कम से कम लल्लू को ही साथ ले आते...तन्हाई का एहसास तो न होता।’’

एक जोरदार ठहाका पड़ा और रमोला ने कहा—‘‘वही लल्लू जिसकी पत्नी शादी के दूसरे दिन ही घर जाकर बैठ गई थी...और लल्लू को आश्चर्य है कि उसकी पत्नी घर जाकर क्यों बैठी ? उसने तो जरा भी परेशान नहीं किया था।’’
एक बार फिर ठहाका पड़ा, फिर रमोला ने कहा—‘‘ऊपर वाला बहुत बड़ा है...उसने दिन के लिए रात, सर्दी के लिए गर्मी और स्त्री के लिए पुरुष बनाया है, तो वह जरूर किसी न किसी को भेजेगा।’’

फिर उन लोगों ने बियर की बोतलें खोलीं—घूंट भर-भरकर होंठ चाटने लगीं—एक ने चटखारा तो दूसरी ने उसे घूरकर कहा—‘‘क्या इस बोतल में कोई जिन्न बन्द है ?’’
‘‘अरे यार ! मैं अपनी जिंदगी का पहला किस याद कर रही हूँ।’’
‘‘अच्छा ! तुझे याद है सबसे पहला किस किसने किया था ?’’
‘‘अच्छी तरह याद है।’’

‘‘तो मुंह से फूट न।’’
‘‘एक बहुत प्यारे-प्यारे से क्यूपिड ने, कोई राजकुमार था।’’
एक जोरदार ठहाका पड़ा। रमोला ने कहा—‘‘सुना तुम लोगों ने।’’
‘‘क्या ?’’
‘‘किसी के कदमों की आहटें।’’
‘‘शिट ! आहटें और इस घास पर ?’’
‘‘अरे....मेरे दिल की धड़कनें सुन रही हैं, उसके पैरों की नर्म आहटें’’।
‘‘सचमुच !’’

‘‘आ रहा है....धीरे-धीरे आ रहा है।’’
सबने इधर-उधर देखा, फिर एक बोली—‘किधर है ? हमें तो नजर नहीं आ रहा।’’
‘‘वह रहा।’’ अचानक रमोला उँगली उठाकर चीख पड़ी। सबने नदी की तरफ देखा और सबकी चीखें निकल गईं, क्योंकि उन लोगों ने एक नौजवान को देखा जो पानी में बहे एक उखड़े हुए पेड़ के तने से लटका हुआ चला आ रहा था।
‘‘अरे ! यह तो मुर्दा मालूम होता है।’’ एक चीखी। ‘‘नहीं, जिन्दा है।’’ दूसरी बोली—‘‘सिर में चोट लगी हुई है...खून बहकर शर्ट लाल हो गई है ‘‘अरे बचाओ !’’

रमोला ने जल्दी से जूते उतारे...उनके साथ नायलोन की एक मोटी रस्सी थी जिसका एक शिरा रमोला ने अपनी कमर में बांध लिया और फिर पानी में छलांग लगा दी...रस्सी खिंचती चली गई, रमोला तेजी से तैरती हुई पेड़ के तने तक पहुंच गई जो एक जगह किसी चीज से अटककर रह गया था।
रमोला ने नौजवान को टटोला तो एक ने चिल्लाकर पूछा-
‘‘जिन्दा है क्या ?’’

‘‘हां जिन्दा है।’’ रमोला ने चिल्लाकर कहा।
फिर उसने नौजवान को बालों से पकड़ लिया और लड़कियां रस्सी खींचने लगी..नौजवान के साथ पेड़ का तना भी खिंचता चला गया।
रमोला ने साथियों की मदद से नौजवान को खींचा....उसका बदन काफी ठंडा था...नब्ज भी हल्की थी, धड़कनें भी....रमोला ने कहा—

‘‘जल्दी से गाड़ी में ले चलो।’’’
वे लोग नौजवान को गाड़ी में ले आईं---माथे पर घाव तो जरूर था, मगर गहरा नहीं था। बहुत सुन्दर छरहरे बदन का नौजवान था जिसका शेव बढ़ा हुआ था...आँखों के नीचे गड्ढे थे।
‘‘लगता है काफी देर पहले पानी में गिरा था।’’
‘‘हम लोग मुर्दा समझकर छोड़ देते तो बेचारा बेमौत ही मारा गया होता।’’
‘‘इसे गर्मी की सख्त जरूरत है।’’
‘‘जल्दी से कम्बल लपेट दो।’’
‘‘गीले कपड़ों में...! अरे नहीं।’’
‘‘उई मां ! तो कपड़े कौन उतारेगा ?’’

‘‘मैं उतारती हूँ।’’
लड़कियां घबराकर नीचे उतर भागीं—रमोला ने उनकी परवाह न की...उसने नौजवान के बदन पर कम्बल डालकर उसे ढका—फिर कम्बल के अन्दर हाथ डालकर उसकी शर्ट निकाली...फिर पतलून...और फिर नौजवान को सब तरफ से ढंककर कस दिया।
एक लड़की ने चिल्लाकर कहा—‘‘हो गया ?’’
‘‘हाँ—हाँ हो गया।’’ रमोला ने जोर से जवाब दिया। ‘‘बेशर्म कहीं की।’’

लड़कियाँ झांकने लगीं। रमोला नौजवान की नब्ज देखते हए चिन्ता व्यक्त करते हुए बोली—
‘‘पल्स रेट बहुत गिराया हुआ है।’’ ‘
फिर....?’’
‘‘तेरा किस इसकी जिन्दगी बन जाएगा।
रमोला ने कुछ देर सोचा—फिर नौजवान के होठों पर होंठ रख दिए और उससे लिपट कर आंखें बंद करके जोर से किस करने लगी—लड़कियां उसे इस तरह बैकअप करने लगीं जैसे किसी मुकाबिले के खेल में लोग अपने किसी अच्छे खिलाड़ी को (शह) देते हैं।

कुछ देर बाद रमोला की सांस, फूल गई और धड़कनें भी बढ़ गईं—उसने दूसरी लड़की से कहा—
‘‘अब तू मदद कर।’’
‘‘शिट ! तेरी झूठन चखूंगी।’’
‘‘अरे...इलाज।’’

‘‘इलाज तूने शुरू किया है तू ही पूरा कर।’’
मजबूरन रमोला को नौजवान के होठों पर फिर अपने होंठ जमाने पड़े..इस बार वह कम्बल में हाथ डालकर नौजवान के शरीर पर धीरे-धीरे मालिश भी करती रही....लड़कियां नौजवान को बड़े ध्यान और उत्साह से देख रही थीं। रमोला के अलग होते देखकर एक ने पूछा—
‘‘हूं अब...!’’

‘‘अब तो धड़कनें तेज हैं नब्ज भी ठीक चल रही है।’’
‘‘कितना शानदार नौजवान है।’’ एक ने कहा।
 ‘‘काश मैंने पहले देख लिया होता।’’ दूसरी बोली।
‘‘काश ! मैं इसके कपड़े उतारने को राजी हो गई होती।’’
तीसरी ने दागा।

‘तुम लोगों को मजाक सूझ रही है।’’रमोला ने कहा—मैं सोच रही हूं बेचारा जाने कौन है ? क्या बीती होगी जब इसने आत्महत्या की कोशिश की।’’
‘‘आत्महत्या !’’ यह क्या कह रही हो ?’’
‘‘लगता तो ऐसा ही है।’’

‘‘अरे संयोग से गिर पड़ा होगा, वरना पेड़ के तने के ऊपर क्यों लटका हुआ होता।’’
‘‘मुझे तो शत-प्रतिशत आत्महत्या का केस मालूम होता है।’’ रमोला ने विश्वास करने के ढंग में कहा।
‘‘मगर क्यों ?’’ एक लड़की ने कहा।
‘‘कपड़ों और चेहरे से खाते-पीते घराने का मालूम होता है।
‘‘माली हालत का शिकार लगता नहीं।’’
रमोला ने कहा—‘‘मुहब्बत का शिकार तो हो सकता है।’’
‘‘मुहब्बत !’’

‘‘हाँ-प्यार की प्यास न बुझे तो आदमी नदी के पानी से ही प्यास बुझाने की कोशिश करता है।’’
‘‘तुम इतने विश्वास से कैसे कह सकती हो ?’’
‘‘इसकी हालत...।’’
‘‘बढ़ा हुआ शेव...आँखों के नीचे गड्डे, बढे हुए बाल हैं जैसे चेहरे की वहशत।’’
‘‘ओहो—तो तू साइकोलोजिस्ट बन रही है।’’
‘‘मैं शर्त लगा सकती हूँ।’’

एक लड़की ने व्यंग्य से कहा—
‘‘फिर तो खासी प्यास बुझ गयी होगी...तूने तो होठों से, ही जी भर के पिलाई की है।’’
रमोला कुछ नहीं बोली...उसकी आंखों में नौजवान के लिए हमदर्दी भी थी, दिल में धड़कनें भी तेज थीं। एक लड़की ने नौजवान को गौर से देखकर कहा—
‘‘पता नहीं कौन है बेचारा ?’’
‘जेबें तो देखो, शायद कोई आइडेंटिटी निकल आए।’’

उन लोगों ने कपड़े संभाले। रमोला ने कमीज की जेबें देखीं...दूसरी लड़की ने पतलून की जेबें---मगर किसी जेब से कुछ नहीं निकला।
‘‘इसके पास तो कुछ भी नहीं है।’’
‘‘कहीं लूट का केस न हो।
‘‘क्या मतलब ?’’
‘‘हो सकता है ट्रेन में सफर में किसी ने लूटकर, बेहोश करके नदी में फेंक दिया हो।’
‘‘शायद अब तो होश आने पर ही पता लगेगा।’’

बारिश तेज होने लगी थी। रमोला ने कहा-- मेरा ख्याल है अब पैकअप करना चाहिए।’’
‘‘क्यों ?
‘‘अरे ! इसे भी डॉक्टर को दिखाना है...वैसे भी बारिश तेज हो रही है...कहीं रास्ता न मुश्किल हो जाए।’’
फिर वे लोग सामान समेटने लगीं....रमोला बेहोश नौजवान को गौर से देखती रही।
कुछ देर बाद सूमो शहर की तरफ दौड़ रही थी और अब बारिश और भी तेज हो गई थी—विण्ड स्क्रीन पर वाइपर तेजी से घूम रहा था।

नौजवान अजनबी को नौकरों ने बंगले के गेस्ट रूम में एक बिस्तर पर पहुंचा दिया। वह अभी तक कम्बल में लिपटा हुआ था। मगर उसका बदन अब पहले की तरह ठंडा नहीं रहा था...रमोला की सहेलियां अपने-अपने ठिकानों पर उतरती गई थीं....बंगले तक रमोला अकेले ही आई थी। उसने सिद्धू से पूछा—
‘डैडी कहाँ हैं ?’’

‘‘मालिक को तो अचानक कलकत्ता जाना पड़ा है...एक हफ्ता लग सकता है। वापसी में...कह गए थे कि बेबी को बता देना...वह फोन करेंगे किसी वक्त।’’
‘‘हूं...तुम डैडी के वार्डरोब से नाइट सूट निकाल लो और बच्चन की मदद से अजनबी को पहना दो।
‘‘वह है कौन बिटिया ?’’
‘‘पता नहीं---नदी में बहता हुआ मिला था एक पेड़ के तने पर।’’
ओहो !’’

कपड़े पहनाकर मुझे बता देना तब तक मैं डॉक्टर अंकल को फोन करती हूं।’’
‘‘जी बिटिया।’’
हॉल में आकर रमोला डॉक्टर कोठारी को फोन करने लगी...फोन करने के बाद उसने एक पैग बनाया और पहला ही सिप लिया था कि सिद्द्धू ने आकर उसे बताया-
‘‘बेबी  कपड़े पहना दिए हैं उसे।’’
‘‘ठीक है, उसके गीले कपड़े गाङी में से निकलवाकर प्रेस करा लेना... और सामान भी निकलवा लो।’’
‘‘जी।’’

सिद्द्धू के जाने के बाद वह गेस्टरूम में आई...जहां नौजवान लेटा हुआ गहरी-गहरी सांसे ले रहा था। अब उसके चेहरे पर थोड़ी सुर्खी थी-रजाई की गर्मी से शांत भी लग रहा था उसके मोटे-मोटे मर्दाना होंठों को देखकर रमोला के शरीर में एक आनन्ददायक सनसनी-सी दौड़ गई-उसके दिल में इच्छा जागी कि एक बार फिर वह अजनबी के साथ वही क्रिया दोहराए। लेकिन झट उसने अपना सिर झटक दिया और जल्दी से सिप लेने लगी।

वह सोच रही थी पता नहीं कौन है ? कहाँ घटना घटी थी उसके साथ, खुद कूदा हुआ था या किसी ने फेंक दिया था....? इन सवालों के जवाब तो नौजवान के होश में आने पर ही मिल सकते थे।
कुछ देर बाद सिद्द्धू ने आकर बताया, ‘बेबी ! डॉक्टर साहब आ गए हैं।’’
‘‘इधर ही ले आओ उन्हें।’’

थोड़ी देर बाद डॉक्टर आ गया। (रमोला ने उसे बताया कि उसे अजनबी किस हालत में...कहां मिला था। डॉक्टर ने अजनबी का घाव देखा और उसकी आंखों से चिंता झलकने लगी।
रमोला ने पूछा, ‘‘कोई खतरे की बात नहीं डॉक्टर ?’’
जिन्दगी को तो कोई खतरा नहीं मगर....।
मगर क्या ?’’

‘‘चोट गहरी और अंदरूनी है.....हो सकता है कुछ समय के लिए कॉमा में चला जाए...या फिर कम से कम याददाश्त तो खो ही सकते हैं।
‘‘ओह..नो..!’’
‘‘मैं खास इंजेक्शन दिए देता हूं...अगर कॉमा में नहीं गया तो एक घंटे में होश आ जाना चाहिए।’’
डॉक्टर घाव साफ करने लगा तो रमोला ने कहा—‘‘अगर कॉमा में चला गया तो ?’’
‘‘फिर तो ट्रीटमेंट देना पड़ेगा...अस्पताल शिफ्ट करना पड़ेगा—यहां हर चीज का इंतजाम नहीं हो सकता।’’
रमोला चिन्तामय ढंग से अजबनी को देखती रही--‘‘डॉक्टर ने घाव पर बैंडेज की ओर इंजेक्शन लगाया। रमोला ने पूछा ‘‘घर पर बिलकुल ट्रीटमेंट नहीं हो सकता ?’’

‘‘हो तो सकता है, मगर तुम क्यों झंझट मोल लेती हो—पुलिस को खबर करके सरकारी अस्पताल भिजवा दो।’’
रमोला ने कोई उत्तर नहीं दिया...डॉक्टर ने कहा—‘‘मैं कुछ दवाएं छोड़े जा रहा हूँ अगर होश आ जाए तो चार-चार घंटे बाद देती रहना।’’
‘‘डॉक्टर अंकल ! कॉमा रोगी की डिफीनेशन क्या है ?’’
‘‘बेटी ! कॉमा के रोगी का सिर्फ दिमाग या तो बिलकुल काम नहीं करता या कुछ समय के लिए बेकार हो जाता है—बाकी शरीर के अंग काम करते रहते हैं।’’

‘‘भूख भी लगती है !’’
‘‘हाँ, ! उसके लिए इंजेक्श्न द्वारा खुराक पहुँचाई जाती है ताकि बदन की शक्ति बनी रहे।’’
‘‘और स्मृति खोने का और कोई इलाज ?’’
‘‘जैसे चोट लगने से अगर स्मृति गई है तो खोयी हुई याद वापस आ सकती है..या रोगी की जान पहचान वाले चेहरे लगातार नॉर्मल रूप से उसके सामने आते हैं...या अचानक ही कोई करिश्मा हो जाए।’’

रमोला कुछ न बोली—डॉक्टर, सिद्द्धू के साथ चला गया..रमोला गिलास हाथ में लिए नौजवान को देखती रही और सोचती रही कि अगर यह कॉमा में चला गया तो क्या होगा ? क्या सरकारी अस्पताल भेजना पड़ेगा पुलिस द्वारा ? फिर नौजवान के होंठों को देखकर झुरझुरी-सी ली...उसके दिल की धड़कनें बढ़ गयीं धड़कनों में एक अजीब सा संगीत था...उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि यही वह नौजवान है जिसकी कल्पना वह करती रही थी....जो हर लड़की की जिन्दगी में कभी न कभी जरूर आता है।

रमोला के इर्द-गिर्द जाने कितने नौजवानों की भीड़ रही थी... लेकिन उसे कभी किसी ने इतना प्रभावित नहीं किया था...इस नौजवान में कोई अलग-सी बात थी जिसने उसे अपनी ओर बरबस खींच लिया...ऐसा लगता था जैसे इस नौजवान से उसका पिछले किसी न किसी जन्म का सम्बन्ध जरूर रहा होगा। अगर यह सचमुच कॉमा में चला गया तो ? रमोला ने घूंट भरकर सोचा तो कांप कर रह गई—अगर ऐसा हो गया तो भी वह उसे पुलिस के हवाले कदापि नहीं सौंपेगी...उसका सारा इलाज बंगले में ही कराएगी, चाहे कितना भी खर्च क्यों न करना पड़े।


 
 

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